अस्तित्व में आया गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिला, अब छत्तीसगढ़ में कुल 28 जिले

खनिज संपदा और औषधीय पौधे यहां की पहचान है। यहां के विष्णुभोग चावल की महक पूरे देश में फैली है।



छत्तीसगढ़ के नवगठित 28वें जिले गौरेला-पेंड्रा-मरवाही सोमवार को अस्तित्व में आ गया है। मुख्यमंत्री भूपेश बघेल, विधानसभा अध्यक्ष चरणदास महंत, नेता प्रतिपक्ष धरमलाल कौशिक और पूर्व मुख्यमंत्री अजीत जोगी की मौजूदगी में आज दोपहर इसका औपचारिक शुभारंभ हुआ। शिखा राजपूत तिवारी इस जिले के प्रथम कलेक्टर और परिहार एसपी तैनात किए गए हैं। शुभारंभ अवसर पर उपस्थितजनों को संबोधित करते हुए मुख्यमंत्री भूपेश बघेल ने ऐलान किया कि नए जिले में पसान तहसील भी शामिल होगा। इसके साथ ही क्षेत्र के लोगों की बहुप्रतिक्षित मांग पूरी हो गई है। मुख्यमंत्री बघेल ने 15 अगस्त 2019 को गौरेला-पेंड्रा-मरवाही जिला बनाने की घोषणा की थी।


नवगठित जिले में तीन तहसील तथा तीन विकासखण्ड गौरेला, पेंड्रा और मरवाही शामिल किया गया था। शुभारंभ अवसर पर मंच से पसान तहसील को भी इसमें शामिल करने का ऐलान किया गया। जिले का क्षेत्रफल 1 लाख 68 हजार 225 हेक्टेयर होगा। जिले में मरवाही विधानसभा के 200 गांव और कोटा विधानसभा के 25 गांव, कोरबा लोकसभा क्षेत्र के 200 गांव और बिलासपुर लोकसभा क्षेत्र के 25 गांव शामिल हैं।


यह है नए जिले की खासियत


गौरेला-पेंड्रा-मरवाही क्षेत्र पत्रकारिता में अपनी अलग पहचान रखता है। छत्तीसगढ़ का प्रथम समाचार पत्र छत्तीसगढ़ मित्र का प्रकाशन मासिक पत्रिका के रूप में पेंड्रा से वर्ष 1900 में पंडित माधवराव सप्रे के संपादन में प्रकाशित हुआ था। खनिज संपदा और औषधीय पौधे यहां की पहचान है। यहां के विष्णुभोग चावल की महक पूरे देश में फैली है।


गौरेला पेंड्रा मरवाही जिला दूरस्थ वनांचल में स्थित है। जिला मुख्यालय बिलासपुर से मरवाही तहसील के अंतिम छोर की दूरी लगभग 165 किलोमीटर है। जनसामान्य को शासकीय कार्य के लिए जिला मुख्यालय बिलासपुर आने जाने में अत्यधिक समय व संसाधन लगता है। जिला पूर्णता अधिसूचित क्षेत्र में है। अत: आदिवासी बहुल एवं विशेष पिछड़ी जनजाति तथा बैगा जनजाति के हितों के संवर्धन एवं विकास में मदद मिलेगी।


Posted By: Anandram Sahu